भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2025 में ऋण (Loans) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए नए नियम लागू किए हैं। इनका मकसद वित्तीय क्षेत्र में अनुशासन, पारदर्शिता और स्थिरता लाना है। आइए हर नियम को आसान भाषा में विस्तार से समझते हैं।
(आधिकारिक स्रोत: RBI Official Website)
1. RBI नए नियम 2025 : क्या है रीयल-टाइम डिफॉल्ट रिपोर्टिंग?
अब बैंक और NBFC को किसी भी ऋण डिफॉल्ट (Default) की जानकारी 24 घंटे के भीतर RBI को देनी होगी। पहले यह प्रक्रिया कई दिनों में होती थी, जिससे जोखिम बढ़ता था। रीयल-टाइम रिपोर्टिंग से तुरंत कार्रवाई संभव होगी और डिफॉल्टर्स पर समय रहते नियंत्रण लगाया जा सकेगा।
मुख्य बातें:
- डिफॉल्ट होने पर 24 घंटे में रिपोर्ट करना अनिवार्य।
- सिस्टम में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ेगी।
2. RBI नए नियम 2025 : राष्ट्रीय डिफॉल्टर्स सूची की स्थापना
RBI अब एक “राष्ट्रीय डिफॉल्टर्स सूची” बनाएगा। इसमें उन सभी उधारकर्ताओं (Borrowers) के नाम होंगे जो बार-बार डिफॉल्ट करते हैं। बैंकों और NBFC को ऋण देने से पहले इस सूची की जांच करनी होगी।
मुख्य बातें:
- बार-बार डिफॉल्ट करने वालों का डाटा सार्वजनिक।
- जोखिम मूल्यांकन में आसानी।
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3. RBI नए नियम 2025 : चेक बाउंस की नईती कड़ी कार्वाइै
यदि किसी का ₹10,000 से अधिक का चेक बाउंस होता है, तो बैंक खाता अस्थायी रूप से फ्रीज किया जा सकता है। इसके बाद 48 घंटे में कानूनी कार्रवाई शुरू हो सकती है। इससे भुगतान अनुशासन बढ़ेगा।
(स्रोत जानकारी: Economic Times – Cheque Bounce Rules)
मुख्य बातें:
- बड़ा चेक बाउंस होने पर खाते पर प्रतिबंध।
- फास्ट-ट्रैक कानूनी प्रक्रिया।
4. RBI नए नियम 2025 : डिजिटल निगरानी
RBI एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाएगा जो बड़े डिफॉल्टर्स पर निगरानी रखेगा। इससे पूरे वित्तीय सेक्टर में जोखिम का आकलन आसान होगा।
मुख्य बातें:
- डिजिटल सिस्टम के जरिए निगरानी।
- बड़े डिफॉल्टर्स पर सीधी नजर।
NBFCs के लिए RBI नए नियम 2025
1. नेट ओंड् फंड्स (NOF) की नई जरूरत
सभी NBFCs (Type I को छोड़कर) को:
- 31 मार्च 2025 तक ₹5 करोड़,
- फिर बाद में ₹10 करोड़, की नेट ओन्ड फंड्स (NOF) बनाए रखनी होगी।
Type I NBFCs (जो सार्वजनिक फंड नहीं लेते) को केवल ₹2 करोड़ का NOF रखना अनिवार्य होगा।
मुख्य बातें:
- पूंजी आधार मजबूत करना जरूरी।
- छोटे NBFCs को भी सख्त अनुपालन करना पड़ेगा।
2. RBI नए नियम 2025 : सोने के कर्ज पर नई गाइडलाइन्स
NBFCs अब सोने के बदले लोन देते समय:
- Loan-to-Value (LTV) अनुपात 75% तक ही रख सकते हैं।
- ऋण अवधि भर यह अनुपात कायम रहना चाहिए।
- नया लोन या टॉप-अप तभी मिलेगा जब पिछला ब्याज चुका दिया गया हो।
मुख्य बातें:
- सोने के गिरवी पर जोखिम कम होगा।
- ग्राहक भी समय पर भुगतान करेंगे।
3. बैंक फायनेंस की नई नीतियां
- बैंक NBFCs को उनकी NOF सीमा से अधिक कर्ज दे सकते हैं।
- एकल NBFC के लिए बैंक का एक्सपोजर उसकी Tier I पूंजी के 20% तक सीमित होगा।
- समूह NBFCs के लिए सीमा 25% तय की गई है।
मुख्य बातें:
- NBFCs को बैंकों से अधिक वित्तीय मदद।
- बैंकों का जोखिम नियंत्रण में।
4. RBI नए नियम 2025 : को-लेंडिंग फ्रेमवर्क की विस्तारताएं
- अब NBFCs और बैंक मिलकर को-लेंडिंग कर सकते हैं। पहले यह केवल प्राथमिकता क्षेत्र (PSL) तक सीमित था।
- डिफॉल्ट-लॉस गारंटी (DLG) 5% तक दी जा सकती है।
- यदि किसी एक पार्टनर ने ऋण को NPA घोषित किया, तो सभी को इसे स्वीकार करना होगा।
मुख्य बातें:
- लेंडिंग में लचीलापन और सुरक्षा दोनों।
- एनबीएफसी और बैंकों के बीच सहयोग बढ़ेगा।
माइक्रोफाइनेंस और बैंक लोन के लिए नये बदलाव
- माइक्रोफाइनेंस ऋणों पर बैंकों का जोखिम भार 125% से घटाकर 100% कर दिया गया है।
- बैंकों के लिए अब माइक्रोफाइनेंस ऋण देना आसान और कम जोखिम भरा होगा।
- NBFCs को अब बैंकों से सस्ती दरों पर फंड मिल सकेगा।
मुख्य बातें:
- माइक्रोफाइनेंस सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।
- छोटे कर्जदारों के लिए फंडिंग आसान।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q1: RBI नए नियम 2025 किस पर लागू होते हैं?
A1: ये नियम बैंकों, NBFCs और ऋण लेने वालों पर लागू होते हैं।
Q2: चेक बाउंस पर कितना जुर्माना होगा?
A2: चेक बाउंस पर खाता अस्थायी रूप से फ्रीज होगा और कानूनी कार्रवाई की जा सकती है, जुर्माना केस दर केस तय होगा।
Q3: NBFC के लिए NOF की न्यूनतम सीमा क्या है?
A3: सामान्य NBFC के लिए ₹5 करोड़ से बढ़ाकर ₹10 करोड़ तक और Type I NBFC के लिए ₹2 करोड़।
Q4: सोने पर लोन का नया नियम क्या है?
A4: सोने के बदले लोन पर अधिकतम 75% Loan-to-Value (LTV) अनुपात लागू होगा।
Q5: क्या माइक्रोफाइनेंस लोन पर भी नए नियम लागू होंगे?
A5: हाँ, माइक्रोफाइनेंस लोन पर बैंकों के जोखिम भार को घटाया गया है जिससे लोन मिलना आसान हो जाएगा।
निष्कर्ष
RBI नए नियम 2025 के तहत वित्तीय प्रणाली अधिक पारदर्शी, सुरक्षित और अनुशासित बनेगी। ऋण लेने वालों को अब समय पर भुगतान करना जरूरी होगा, और NBFCs को पूंजी और अनुपालन नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा। इन नए नियमों से बाजार में विश्वास बढ़ेगा और वित्तीय स्थिरता मजबूत होगी।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी स्रोतों के आधार पर तैयार की गई है और इसमें समय-समय पर बदलाव संभव है। कृपया किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले संबंधित बैंक, NBFC या वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। लेखक या प्रकाशक इस जानकारी के उपयोग से उत्पन्न किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हानि के लिए जिम्मेदार नहीं होंगे।