Digital Arrest Scam 2025 में तेजी से फैल रहा फर्जी कॉल स्कैम है, जिसमें खुद को पुलिस या CBI बताकर लोग ठगी का शिकार बन रहे हैं। जानिए कैसे पहचानें और बचें।
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका क्या है? नया साइबर ठगी का तरीका जिससे लोग मिनटों में लाखों गंवा बैठते हैं
कल्पना कीजिए: आपके मोबाइल पर कॉल आता है। सामने वाला कहता है कि वो CBI से बोल रहा है। फिर वो बताता है कि “आपके आधार कार्ड का इस्तेमाल ड्रग्स तस्करी में हुआ है।” आप चौंकते हैं, डरते हैं। वो कहता है — “अब आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा रहा है, आप वीडियो कॉल पर रहें।” और फिर धीरे-धीरे बात घुमाकर आपसे पैसे मांगता है।
यही है “डिजिटल अरेस्ट स्कैम” — ठगी का नया डिजिटल चेहरा।
डिजिटल अरेस्ट कैसे काम करता है? पूरा खेल समझिए
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
ये स्कैम दिखने में तो बहुत असली लगता है लेकिन पूरी तरह से नकली होता है। इसमें ठग खुद को पुलिस, CBI, साइबर सेल या कोर्ट का अधिकारी बताकर आम लोगों को डराते हैं। उन्हें ये यकीन दिलाते हैं कि उन्होंने कोई बड़ा अपराध कर दिया है — जैसे मनी लॉन्ड्रिंग, ड्रग्स केस, फर्जी बैंक अकाउंट इत्यादि।
अब वो आपको कहते हैं कि…
- “आपके खिलाफ FIR दर्ज हो गई है”
- “आपको वीडियो कॉल पर जांच के लिए बैठाया जा रहा है”
- “आपका नंबर ट्रैक हो रहा है”
- “आपको ज़मानत या केस खत्म करने के लिए तुरंत ₹10,000 / ₹50,000 देना होगा”
आप डरते हैं। कोई सलाह नहीं ले पाते। और इसी डर में आकर आप पैसा ट्रांसफर कर बैठते हैं।
डिजिटल अरेस्ट स्कैम के 5 कॉमन तरीके
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
1. पुलिस या CBI बनकर कॉल करना
“हैलो, मैं CBI से बोल रहा हूं…आपका आधार कार्ड ड्रग्स केस में मिला है…”
वे आपको फर्जी केस में फंसा देते हैं और UPI पेमेंट मांगते हैं।
2. वीडियो कॉल पर ‘गिरफ्तारी’ दिखाना
कॉल पर बैठा देते हैं: “आपको वीडियो कॉल पर रहना होगा, केस चल रहा है।”
घंटों बिठाकर आपका आत्मविश्वास तोड़ते हैं।
3. नकली FIR, कोर्ट समन भेजना
WhatsApp या मेल पर FIR, वॉरंट जैसी डॉक्युमेंट भेजते हैं।
लिखते हैं: “आपको गिरफ्तार किया जाएगा अगर आप अभी भुगतान नहीं करते।”
4. फोन में App डाउनलोड कराना (जैसे AnyDesk)
कहते हैं: “हम आपके फोन की जांच करेंगे।”
ऐप से आपके फोन में घुसकर बैंक ऐप से पैसा निकाल लेते हैं।
5. QR कोड या GPay नंबर भेजकर Payment मांगना
आपको डराते हैं: “₹25,000 जमा करें वरना गिरफ्तार हो जाएंगे।”
ये पैसा UPI, Paytm, GPay से लेते हैं — और फिर गायब।
1. पुलिस या CBI बनकर कॉल करना
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
कैसे काम करता है ये स्कैम?
ठग एक अनजान नंबर से कॉल करते हैं और खुद को बताते हैं –
“मैं इंस्पेक्टर यादव बोल रहा हूँ, CBI दिल्ली से…”
या
“आपके नाम से एक ड्रग्स डिलीवरी पकड़ी गई है, आप बड़ी मुसीबत में हैं।”
वे आपको विश्वास दिलाते हैं कि आप किसी गंभीर अपराध में फँस चुके हैं। उनका लहजा डराने वाला होता है — जैसे असली अफसर की तरह। फिर वो कहते हैं:
“अभी ₹20,000 जमा करो ताकि आपके खिलाफ FIR फाइल न हो।”
“आपको जमानत देनी होगी वरना गिरफ्तारी होगी।”
लोग कैसे फँसते हैं? डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
- उन्हें लगता है कि अगर कुछ गलत नहीं भी किया, तो कहीं पहचान का गलत इस्तेमाल हो गया होगा।
- ‘पुलिस केस’ और ‘गिरफ्तारी’ जैसे शब्द डर पैदा करते हैं।
- डर के कारण बिना सोचे-समझे पैसे ट्रांसफर कर देते हैं।
बचाव का तरीका:डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
- याद रखें: कोई भी असली पुलिस या CBI अफसर फोन पर पैसे नहीं मांगता।
- ऐसे कॉल आने पर तुरंत कॉल काटें।
- नंबर को Truecaller या Google पर चेक करें।
- 1930 या cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।
2. वीडियो कॉल पर ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ दिखाना
कैसे काम करता है ये स्कैम? डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
ठग आपको वीडियो कॉल करते हैं। फिर कहते हैं:
“आप अब गिरफ्तार हैं, आपको वीडियो कॉल पर रहना होगा जब तक केस खत्म नहीं होता।”
वो आपको 1-2 घंटे कैमरे के सामने बिठाए रखते हैं — ताकि आप किसी को कॉल न कर पाएं।
बीच-बीच में पूछते हैं:
“आप कब पैदा हुए? आपकी बैंक डिटेल दो, जांच करनी है।”
फिर धीरे से कहते हैं:
“अगर ₹30,000 जमा करते हो, तो मामला यहीं खत्म कर देंगे।”
लोग कैसे फँसते हैं?
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
- घंटों कॉल पर रहने से मानसिक थकावट होती है।
- डर और भ्रम की स्थिति में लोग पैसों की मांग मान लेते हैं।
बचाव का तरीका:
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
- वीडियो कॉल पर कभी भी किसी से डिटेल शेयर न करें।
- कोई कॉल पर ‘डिजिटल अरेस्ट’ की बात करे तो तुरंत कॉल काटें।
- पुलिस गिरफ्तारी सिर्फ कोर्ट वारंट के ज़रिए होती है — वीडियो कॉल पर नहीं।
3. नकली FIR, समन और कोर्ट नोटिस भेजना
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
कैसे काम करता है ये स्कैम?
आपके WhatsApp या ईमेल पर एक PDF भेजी जाती है, जिसमें लिखा होता है:
“आपके खिलाफ FIR दर्ज है। पुलिस कार्रवाई शुरू हो चुकी है।”
फर्जी FIR पर असली सरकारी मुहर जैसी फोटो होती है, जिससे लोग डर जाएं।
फिर कॉल करके कहा जाता है:
“अगर आप ₹15,000 अभी Paytm या UPI से भेज देंगे तो केस रुक सकता है।”
लोग कैसे फँसते हैं?
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
- नकली FIR असली लगती है।
- उन्हें लगता है कि यह कोई सरकारी नोटिस है।
- बिना पूछे सीधे पैसे भेज देते हैं।
बचाव का तरीका:
- भारत में कोर्ट समन या FIR कभी WhatsApp पर नहीं भेजे जाते।
- किसी भी PDF को ध्यान से जांचें — उसमें ग्रामर, भाषा और नाम गलत हो सकते हैं।
- UIDAI, पुलिस या कोर्ट की वेबसाइट पर क्रॉस चेक करें।
4. फोन में App डाउनलोड कराना (AnyDesk/TeamViewer)
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
कैसे काम करता है ये स्कैम?
ठग कहते हैं:
“हम साइबर जांच कर रहे हैं, कृपया ये ऐप डाउनलोड करें ताकि हम आपकी डिवाइस देख सकें।”
ये ऐप्स रिमोट एक्सेस ऐप्स होते हैं — जिससे वो आपके फोन या कंप्यूटर को दूर से कंट्रोल कर सकते हैं।
एक बार आप ऐप खोल देते हैं, वो आपके:
- बैंक ऐप
- OTP
- UPI
- गैलरी तक पहुंच सकते हैं।
लोग कैसे फँसते हैं?
- उन्हें लगता है कि यह जांच का हिस्सा है।
- डर और अधिकारिक लहजे से गुमराह हो जाते हैं।
- स्कैमर्स आपके खाते से पैसे निकाल लेते हैं।
बचाव का तरीका:
- कभी भी अनजान ऐप डाउनलोड न करें।
- कोई कहे “स्क्रीन शेयर करो” या “AnyDesk चलाओ” — तो समझ जाइए ठग है।
- अपने मोबाइल/लैपटॉप में सुरक्षा सेटिंग्स ऑन रखें।
5. Arrest Avoidance Fee मांगना (QR या GPay के ज़रिए)
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
कैसे काम करता है ये स्कैम?
ठग कहते हैं:
“आपको गिरफ्तार किया जा रहा है लेकिन ₹25,000 की फाइन देकर बच सकते हैं।”
“नीचे दिए QR कोड या GPay नंबर पर भेजिए।”
वे आपको डिजिटल पेमेंट की जल्दी में डालते हैं ताकि आप सोचने का समय न लें।
लोग कैसे फँसते हैं?
- “Arrest” और “फाइन” शब्द से डरते हैं।
- UPI QR देखकर लगते हैं कि सिस्टम automated है।
- पेमेंट करते ही स्कैमर्स नंबर ब्लॉक कर देते हैं।
बचाव का तरीका:
- सरकारी विभाग कभी QR कोड या UPI से पेमेंट नहीं लेते।
- हर मामले में वेरिफिकेशन और नोटिस होता है — सीधा भुगतान नहीं।
- किसी भी QR कोड पर बिना सोचे पैसे न भेजें।
निष्कर्ष: डिजिटल अरेस्ट = ठगी का नया जाल
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
डिजिटल अरेस्ट कोई असली कानून नहीं है।
पुलिस, CBI, कोर्ट — ये किसी को फोन पर न गिरफ्तार करते हैं, न फाइन लेते हैं।
याद रखें:
“अगर डराकर आपसे पैसा मांगा जा रहा है — तो वो धोखा है, सरकार नहीं।”
सुरक्षा के लिए ये 5 बातें हमेशा याद रखें
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
- अनजान कॉल पर घबराएं नहीं – सोचें और जांचें।
- किसी से OTP, PIN, बैंक डिटेल या ऐप एक्सेस शेयर न करें।
- सरकारी अधिकारी कभी भी वीडियो कॉल पर गिरफ्तारी नहीं करते।
- कोई भी PDF या FIR WhatsApp पर असली नहीं हो सकती।
- मदद चाहिए? तुरंत 1930 पर कॉल करें या cybercrime.gov.in पर शिकायत करें।
अब बात करते हैं – बचाव कैसे करें?
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
1. डरें नहीं, सोचें।
कोई भी असली पुलिस अफसर फोन पर UPI पेमेंट नहीं मांगता।
2. कॉल आने पर तुरंत नंबर चेक करें।
Google पर सर्च करें या Truecaller से जांचें।
3. कोई भी Unknown App डाउनलोड न करें।
AnyDesk, TeamViewer जैसे ऐप से मोबाइल में एक्सेस मिलता है — खतरनाक है।
4. पैसा मांगने पर साफ मना करें।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs):
डिजिटल अरेस्ट ठगी का नया तरीका
Q. क्या भारत में डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया है?
नहीं, ऐसा कोई कानून या प्रक्रिया मौजूद नहीं है। गिरफ्तारी सिर्फ कोर्ट या पुलिस स्टेशन के जरिए ही होती है।
Q. पुलिस अगर बुलाए तो कैसे पता चले असली है या नकली?
वो कभी भी मोबाइल नंबर से कॉल नहीं करते और ना ही UPI पेमेंट मांगते हैं।
Q. अगर गलती से पैसे भेज दिए तो क्या करें?
तुरंत 1930 पर कॉल करें और cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।
⚠️ Disclaimer (अस्वीकरण):
यह पोस्ट केवल जानकारी देने के उद्देश्य से है। यदि आप किसी ठगी का शिकार हुए हैं, तो कृपया तुरंत अपने नजदीकी साइबर क्राइम सेल या cybercrime.gov.in पर शिकायत करें। डिजिटल अरेस्ट जैसी कोई आधिकारिक प्रक्रिया भारतीय कानून में मान्य नहीं है।
Call to Action:
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