कर्ज पर देना होगा ब्याज पर ब्याज,मोरेटोरियम पर केंद्र सरकार ने दी बड़ी राहत

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केंद्र सरकार की तरफ से लोन लेने वाले रिटेल कर्जदारो और छोटे मध्यम उद्यमों को मिली रही हे, बैंक लोन मोरटोरियम पर लगने वाले चार्ज की वसूली नहीं करेंगे यह जानकारी केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दी है.

हालांकि सरकार ने यह रात सिर्फ 2 करोड रुपए कर्ज पर ही दी है, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है MSME लोन, एजुकेशन लोन, होम लोन, कंजूमर लोन, पर्सनल लोन, ऑटो लोन, पर लागू चक चक्रवद्धि ब्याज को माफ किया जाएगा,

इसके अलावा क्रेडिट कार्ड बकाया पर भी यह ब्याज वसूली नहीं की जाएगी, केंद्र सरकार ने हलफनामे में कहा कि महामारी की स्थिति में ब्याज की छूट का भार वाहन सरकार करें, यही केवल समाधान है

क्या है इसके मायने

दरअसल कोरोना संकटकी वजह से मार्च में लॉकडाउन लागू किया गया, लोक डाउन की वजह से काम धंधे बंद थे ,बहुत से लोग लोन ईएमआई चुकाने की स्थिति में नहीं थे जिसे देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक के आदेश पर बैंकों से ईएमआई नहीं चुकाने के लिए 6 महीने की मोहलत मिल गई

लेकिन सबसे बड़ी समस्या मोरटोरियम के बदले लगने वाले अतिरिक्त शुल्क को लेकर थी, यह अतिरिक्त शुल्क लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए बड़ा बोझ बन रहा था, केंद्र सरकार की ओर से दी गई इस राहत का मतलब यह हुआ कि लोन मोरटोरियम का लाभ ले रहे लोगों को अब सिर्फ लोन का सामान्य ब्याज देना होगा

रिजर्व बैंक ने कोरोना के चलते बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों के ग्राहकों को 6 महीने का मोरटोरियम दिया था, जिसके एवज में इन कंपनियों ने मूल राशि के साथ ब्याज पर ब्याज पर ब्याज लगाता था, एक तरह कर्ज दारू की देनदारी काफी अधिक बढ़ गई थी क्योंकि ब्याज पर ब्याज की दर काफी अधिक थी

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि आप सिर्फ व्यापार में दिलचस्पी नहीं ले सकते लोगों की परेशानियों को भी देखना होगा

इस विषय में बैंकर्स का कहना है कि इन श्रेणियों पर ब्याज पर ब्याज की माफ़ी से उनकी लागत पर 5000-6000 करोड़ का असर पड़ेगा, हालांकि यह स्कीम सभी श्रेणियों पर लागू होती तो लागत पर 10,000-15,000 करोड रुपए का असर पड़ सकता था बैंकर्स को सरकार से नुकसान भरपाई की उम्मीद है

पूर्व सीएजी राजीव महर्षि के अगुवाई वाली समिति के सुझावों के बाद सरकार ने अपना रुख पलट लिया है, इससे पहले सरकार और रिजर्व बैंक ब्याज काफी के खिलाफ अड़े हुए थे, उन्होंने कहा कि यह अन्य हित धारकों और समय पर कर्ज चुकाने वाले करदाताओं के खिलाफ नाइंसाफी होगा

इससे पहले जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर एस रेडी, और एमआर शाह की पीठ ने सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा था, हालांकि सरकार काफी समय तक ब्याज माफी पर अपने रुख पर अड़ी रही थी

सरकार का तर्क था कि सभी श्रेणियों के कर्जदारो को माफी देने से बैंकिंग सिस्टम पर काफी अधिक दबाव पड़ेगा, और बैंक इस तरह के दबाव झेल पाने में सक्षम नहीं है, साथ ही इस जमा कर्ताओं के हौसले भी पस्त होंगे और इसी वजह से सरकार ने बड़े कर्जदार ओं को माफी नहीं दी है

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